OAK KULMANDAL
ओक कुलमंडळ
वासिष्ठेन्द्र प्रमदा भरद्वश्वेती
त्रिप्रवरांद्विता: वसिष्ठ-गोत्रोत्पन्न:
यजुर्वेदस्य तैत्तिरीय-शाखांतर्गत
हिरण्यकेशी शाखाध्यायीन: